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रविवार, 19 जून 2011

शर्म!

शर्म भी आ जाए तो अब आँखें शर्मसार नही होती|
इन्हें पता है,कि अब इस हमाम में सब नंगे हैं|


शुक्रवार, 17 जून 2011

मैं तो पहले से पागल हूँ!

मुझे आवारा, दीवाना, मस्ताना कहने वालों सुनो,
मुझे तुम्हारी इन बातों से कोई फर्क नही पडता|
क्यूंकि मैं पहले से पागल हूँ|


मंगलवार, 14 जून 2011

ये ख़ास बात हम से पूछो...!

कब? क्यूँ? और कैसे? कोई आम से खास हो जाता है ये हम से पूछो.....!
क्यूंकि हमने रातों में रिश्तों के बीच जागकर, तारीख बदलते देखा है ...|