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बुधवार, 28 अगस्त 2013

वक्त अच्छा हो तो कुत्ता भी तंदूरी चिकन खाता है..

मैं तुम्हारा दोष देना नहीं चाहता,
तुम तो काबिल ही न थे, 
गलत पद्धति, गलत चुनाव,
राजनीति में अपराधियों की आपाधापी ने,
तुम्हें ऊपर उठा दिया,
और तुम जिसे मौक़ा ही नही मिला था
अब तक चोरी करने का 
भरने लगे खजाना दोनों हाथ
और साथी भी साथ-साथ 
देहातों में एक कहावत है...
वक्त अच्छा हो तो कुत्ता भी तंदूरी चिकन खाता है..

सोमवार, 19 अगस्त 2013

राजनीतिज्ञों के चरित्र

प्रचार, नेता, खद्दर, चुनाव - चिन्ह  सब से दूर रहना चाहता हूँ|
इन्होने छला है, मुझे
पुरे समाज को, 
पंचायत को, 
रोड - रास्ते, किसान, मजदुर, मजबूर सबको|
अपराध की सजा पाए लोग,
जब खद्दर में सज कर चलते हैं, 
तो गलियाते हैं, शास्त्री जी का नाम लेकर 
मदन मोहन मालवीय, सरदार वल्लभ भाई पटेल, 
याद आ जाते हैं,
क्या जयप्रकाश नारायण, लोहिया के चेले ऐसे होते हैं,
मैं चौखंडी में बैठे गाँव के बाबा से कभी - कभी पूछ बैठता हूँ,
उसके पास से गुजरते ही....

हर बार उनका एक ही जबाब होता है,...
चुप कर.... तू हमार दुश्मन ह का हो.....