बहुत सुन्दर प्रस्तुति!स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया
bahut khoob ...
पत्थर तो अपना दुःख खुद ही सहते हैं,और हम हैं की खामोश लोगों को पत्थर कहते हैं|Vicharniy Panktiyan.... Bahut Badhiya
आपकि कविता मे करूणा भी है अडिग रहने क संदेश भी आपको मै मेरी ओर से साधुवादआपकि कविता मे करूणा भी है अडिग रहने क संदेश भी आपको मै मेरी ओर से साधुवाद
सच में यह पत्थर ...किससे कहें अपना दर्द और आखिर पत्थर की इस वस्ति में कोण किसकी सुनता है ....!
पत्थरों को सजीव कर दिया.गूढ़ अर्थ लिये अच्छी रचना.
♥ वाह ! ख़ूब कहा आपने - पत्थर तो अपना दुःख खुद ही सहते हैं आपको नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं ! -राजेन्द्र स्वर्णकार
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंbahut khoob ...
जवाब देंहटाएंपत्थर तो अपना दुःख खुद ही सहते हैं,
जवाब देंहटाएंऔर हम हैं की खामोश लोगों को पत्थर कहते हैं|
Vicharniy Panktiyan.... Bahut Badhiya
आपकि कविता मे करूणा भी है अडिग रहने क संदेश भी आपको मै मेरी ओर से साधुवादआपकि कविता मे करूणा भी है अडिग रहने क संदेश भी आपको मै मेरी ओर से साधुवाद
जवाब देंहटाएंसच में यह पत्थर ...किससे कहें अपना दर्द और आखिर पत्थर की इस वस्ति में कोण किसकी सुनता है ....!
जवाब देंहटाएंपत्थरों को सजीव कर दिया.गूढ़ अर्थ लिये अच्छी रचना.
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जवाब देंहटाएंवाह ! ख़ूब कहा आपने -
पत्थर तो अपना दुःख खुद ही सहते हैं
आपको नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार