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रविवार, 27 जून 2010

हम बदल गये हैं

लोगो से सुना है कि, हम बदल गये हैं|
मेरे बात बदल गये हैं|
अपने ज्जबात बदल गये हैं|

कुछ कहते हैं मेरे आवाज़ बदल गये हैं|
तो कुछ, अपने जीने के अंदाज़ बदल गये हैं|

हॉ सकता है सच भी हो,
हमें भी मालूम पड़ा है दोस्त|
अब आलम पहले सा नहीं है|
फिर भी तय नहीं कर पाया हूँ अबतक,
सब बदल गये हैं की हम बदल गये हैं|


3 टिप्‍पणियां:

  1. ......तय नहीं कर पाया हूँ अबतक,
    सब बदल गये हैं की हम बदल गये हैं|

    अच्छी लगी.
    शुभ कामनाएं!!

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  2. मुझे तो परिवर्तन सृष्टी का नियम है ये बात सत्य लगती है बहुत अच्छी कविता लिखि है

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