धोखेबाजों की कमी नही है इस जहान में,
हो सके तो तुम भी अपना मतलब निकाल लो|
मुझे तेरी हार जीत से क्या मतलब,
किसी तरह तेज भाग कर खुद को निकाल लो|
सभी धोखेबाज आज बन गए हैं रहनुमा..
ईमानदार बनना है तो चिल्ला कर अपना गला फाड़ लो|
भारत माँ कराहती रहती है, अनसुना कर दिल को,
खुद को पुराने जमींदारों, नबाबों, अंग्रेजों, मुगलों सा ढाल लो|
किसी की चीखने की आवाज पर मत जाना,
मानवता नही खुद की सोचो! डरो! अब अपने अपने घरों को भाग लो|
जब मन आये सोने का नाटक करो...
जब खुदपर बन आये तो तुरंत जाग लो|
आदत अपनी छोड़ के, बोले मीठे बोल ।
जवाब देंहटाएंनिश्चित मानो शख्स वो, धोखा देकर गोल ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in/
आभार!
हटाएंअवश्य!
आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ !
क्रांतिकारी स्वर है !
जवाब देंहटाएंआभार!
हटाएंशुक्रवार के मंच पर, तव प्रस्तुति उत्कृष्ट ।
जवाब देंहटाएंसादर आमंत्रित करूँ, तनिक डालिए दृष्ट ।।
charchamanch.blogspot.com
आमंत्रण के लिए आभार!
हटाएंसभी धोखेबाज आज बन गए हैं रहनुमा../
जवाब देंहटाएंkatu satya
सभी धोखेबाज आज बन गए हैं रहनुमा../
जवाब देंहटाएंkatu satya
बहुत बहुत आभार!
हटाएंधोखेबाजों की कमी नही है इस जहान में,
जवाब देंहटाएंहो सके तो तुम भी अपना मतलब निकाल लो|
बहुत खूब चन्दन भैया.........आज के भयभीत व् स्वार्थी इंसान का यही चेहरा है....बहुत बढ़िया चित्रण |
दीदी आभार!
जवाब देंहटाएंLove to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.
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