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रविवार, 25 जुलाई 2010

आज नही कल शाम को जाना|


बहूत दिनों के बाद मिलें हो क्योँ जाने कि जिद करते हो|

आ ही गए हो ठहर के जाना, आज नही कल शाम को जाना|

तुम्हे रोकने कि ख्वाहिश नहीं है, पर कहना है मेरे दिल का|
तेरे साथ मैँ बरबस ना करुँगा, कुछ समझो मेरी मुश्किल का|

पहले भी तुम जा सकते हो, पर करना ना झुठा बहाना|
आ ही गए हो ठहर के जाना, आज नही कल शाम को जाना|


पहले तेरे आने के..................................

पहले लू जैसा आलम था, अब बारिश सा मौसम होगा|
दिल में घटाएं घिरने लगेँगी और आँखोँ में सावन होगा|

मेरा कहा मानो बस इतना इस बारिश में भींग के जाना|
आ ही गए हो ठहर के जाना, आज नही कल शाम को जाना|