इस रात को अक्सर मुझसे कई शिकायत रहती है|
मैं इससे बचना चाहता हूँ
फिर भी ये मुझे सताती रहती है|
ये मुझे चिढाती रहती है,
मैं अक्सर हीं चुप रहता हू|
इसे सताना अच्छा लगता है,
चुप रहूँ तो तो इसको लगे बुरा|
मैं हंसू तो इसको और बुरा,
ये हंसती है मेरे ऊपर ये मुझे अकेला कहती है|
मैं तो बस सहता रहता हू,
बस यही सुनाती रहती है|
पर अब कुछ दिनों से अब सच में हालत विपरीत हुआ है,
मैने रात को बतलाया की मुझे भी किसी से प्रीत हुआ है|
फिर भी इसे विश्वास नही है,
ये मुझे ही झूठा कहती है|
पर ये सच है|
इसे मेरी मुस्कुराहट झूठी लगती है,
मैं फिर भी सहता रहता हूँ|
लो सच ये है मैं बतलाता हूँ
कोई पास हमारे रहती है,
मैं पास किसी के रहता हूँ|
मैं इससे बचना चाहता हूँ
फिर भी ये मुझे सताती रहती है|
ये मुझे चिढाती रहती है,
मैं अक्सर हीं चुप रहता हू|
इसे सताना अच्छा लगता है,
चुप रहूँ तो तो इसको लगे बुरा|
मैं हंसू तो इसको और बुरा,
ये हंसती है मेरे ऊपर ये मुझे अकेला कहती है|
मैं तो बस सहता रहता हू,
बस यही सुनाती रहती है|
पर अब कुछ दिनों से अब सच में हालत विपरीत हुआ है,
मैने रात को बतलाया की मुझे भी किसी से प्रीत हुआ है|
फिर भी इसे विश्वास नही है,
ये मुझे ही झूठा कहती है|
पर ये सच है|
इसे मेरी मुस्कुराहट झूठी लगती है,
मैं फिर भी सहता रहता हूँ|
लो सच ये है मैं बतलाता हूँ
कोई पास हमारे रहती है,
मैं पास किसी के रहता हूँ|