जो रहे अविचल,
संघर्ष किये,
जो अटल रहे इरादों पर,
माँ से किये अपने वादों पर,
लुटा दिए अपने तन मन,
करो उन्हें नमन|
विपदा की घडी को भाप गये,
उन्हें पता था जान की जोखिम
फिर भी जिनके नम न हुए नयन,
सदा ही बढ़ते रहे कदम,
करो उन्हें नमन|
जिनके बच्चे अब भी भूखे हैं,
माँ- वधु, बहने जिनकी हों अबला,
जिनके शौर्य के बल पर
टिका है अपना जन गन मन,
करो उन्हें नमन|
जिन पर गर्व हमें है अब भी,
शर्म है तो इस राजनीति से,
जिनके लहू ने सींचा भारत भू को,
जिन्होंने तन मन धन,
सब किया राष्ट्र को अर्पण,
करो उन्हें नमन|
संघर्ष किये,
जो अटल रहे इरादों पर,
माँ से किये अपने वादों पर,
लुटा दिए अपने तन मन,
करो उन्हें नमन|
विपदा की घडी को भाप गये,
उन्हें पता था जान की जोखिम
फिर भी जिनके नम न हुए नयन,
सदा ही बढ़ते रहे कदम,
करो उन्हें नमन|
जिनके बच्चे अब भी भूखे हैं,
माँ- वधु, बहने जिनकी हों अबला,
जिनके शौर्य के बल पर
टिका है अपना जन गन मन,
करो उन्हें नमन|
जिन पर गर्व हमें है अब भी,
शर्म है तो इस राजनीति से,
जिनके लहू ने सींचा भारत भू को,
जिन्होंने तन मन धन,
सब किया राष्ट्र को अर्पण,
करो उन्हें नमन|