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गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

हम इन्कलाब की बात करेंगे!


वे  जो मजबूर  हैं,
जिनकी आदत है,
जिनकी आस्था है,
जिनकी इबादत है,
गिरगिटों कि तरह रंग बदलना|
कभी समर्थन, कभी विरोध की बात करेंगे|

हमारे इरादे मजबूत हैं,
राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है,
हम भारत के बच्चे
सीधा... सच कहने वाले..
हम निकल कर सड़कों पर इन्कलाब कि बात करंगे|

जिन्हें जमीन दिखती हो, भारत भू|
उनके लिए आसान है,
भारत माता का गौरव गरिमा भूल जाना,
दबाब और लालचों में झुक जाना,
कायर बुजदिल हमेशा देश बांटने की हि बात करेंगे|

हम हिमालय को भाल,
हिंद महासागर को पाद समझते हैं,
हम कश्मीर को धरती का स्वर्ग,
अरुणाचल को सुप्रभात समझते हैं,
हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के विशालता की बात करेंगे|

सियार जैसे होशियार लोगों के लिए आसान है,
अपनी कायरता को बुद्धिमानी का रूप दे देना,
आजादी से आजादी को खतरे में डाल देना,
संघर्ष के तरीकों को सही गलत कहने वाले..
वतन के खिलाफत की बात करेंगे|

हम सिंहों के दांत गिनने वाले,
हम मंजिल को पाने चलते हैं,
हम अशफाक - भगत के बच्चे हैं,
हम सही गलत में नही पड़ते हैं|
हम इन कायर , बुजदिल, दोहरों से आज बगावत की बात करंगे|



26 टिप्‍पणियां:

  1. इन्कलाब जब आता हे बदलाब का सैलाब आता हे क्रांति की ही एक चिंगारी से देशद्रोही का आशियाँ ख़ाक होता हे चन्दन जी क्या कविता लिखी हे देशप्रेम से औत प्रोत धन्यवाद

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  2. ब्लॉग शीर्षक के नीचे की पंक्ति में कृपया निम्नानुसार संशोधन करें ...

    टिपण्णीयों का स्वागत = टिप्पणियों का स्वागत


    आपकी कविता पढते हुए भी ध्यान वहीं अटकता रहा !

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  3. आपकी भावनाओं के साथ बहना अच्छा लगा .
    आपके विचार संग चलना अच्छा लगा ..
    मुद्दतें हो गयी हमें उसे ढूंढते....
    उसका दिल खोल कर मिलना अच्छा लगा .
    कनिष्क कश्यप .. हूँ भाई जी .. नमस्कार .. खाता ब्लॉगप्रहरी टीम का प्रयोग कर रहा हूँ.

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  4. हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के विशालता की बात करेंगे|
    सुंदर!

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  5. बालकिशन जी,अली जी, कनिष्क कश्यप जी, तथा अनुपमा दीदी, आप सबों का बहुत बहुत आभार!मेरा उत्साह वर्धन और मार्गदर्शन करने के लिए!

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  6. चंदनजी आपका सदा स्वागत है। जब भी समय मिले बतियाइएगा, अच्छा लगेगा। स्नेह बना रहना चाहिए।

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  7. गगन शर्मा जी अवश्य!
    आप मेरे ब्लॉग पर आये इस लिए आभारी हूँ!

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  8. वर्तमान परिदृश्य में देशभक्ति से परिपूर्ण रचना, सच में फिर से एक इन्कलाब लाने की जरुरत है..हम सब साथ हैं आपके.

    ये जानकार और भी अच्छा लगा कि आप भी अपने ही शहर के हैं, कभी छुट्टियों में आया तो मिलाना चाहूँगा.

    दीवाली की शुभकामनायें!!
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com
    www.santoshspeaks.blogspot.com

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  9. देश प्रेम और ओजपूर्ण भावों से ओतप्रोत रचना को पढ़कर आपकी रचनात्मक प्रतिभा से परीचित हुए ....आपका आभार

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  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति -काश ये रेंकने वाले गधे भी इस पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य से परिचित होते

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  11. शुभकामनाएं ||

    रचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
    माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
    घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
    लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
    नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
    दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  12. रविकर जी, अरविन्द जी, केवल जी, संतोष जी आभार आप सबों का!
    आप सबों को दीवाली कि हार्दिक शुभकामनाएं!

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  13. आदरणीय महोदय
    आपकी पोस्ट राष्ट्रªीय भावना से ओत प्रोत है ।
    सराहनीय है
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं
    .
    सटीक विष्लेषण आभार !!

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  14. राष्ट्रीयता का दीप जलाते रहें.
    दीपोत्सव की शुभकामनायें.

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  15. कोलाहल से दूर, एवं संतोष पाण्डेय जी आप सभी को दिवाली कि हार्दिक शुभकामनायें!

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  16. हम हिमालय को भाल,
    हिंद महासागर को पाद समझते हैं,
    हम कश्मीर को धरती का स्वर्ग,
    अरुणाचल को सुप्रभात समझते हैं,
    हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के विशालता की बात करेंगे|

    जवाब देंहटाएं
  17. हम हिमालय को भाल,
    हिंद महासागर को पाद समझते हैं,
    हम कश्मीर को धरती का स्वर्ग,
    अरुणाचल को सुप्रभात समझते हैं,
    हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के विशालता की बात करेंगे|
    बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति राष्ट्र प्रेम से संसिक्त .
    मान्यवर कृपया "कि"और "की "तथा "हि"और "ही " का प्रयोग अनुप्रयोग सही करें इन पंक्तियों में -

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  18. हम निकल कर सड़कों पर इन्कलाब कि बात करंगे|
    दबाब और लालचों में झुक जाना,
    कायर बुजदिल हमेशा देश बांटने की हि बात करेंगे|यहाँ ही का प्रयोग करें तथा पहली पंक्ति "इन्कलाब कि बात करेंगे "में की का करें .बेह्सक बेहद खूबसूरत रचना है आपकी .

    जवाब देंहटाएं
  19. हम निकल कर सड़कों पर इन्कलाब कि बात करंगे|
    दबाब और लालचों में झुक जाना,
    कायर बुजदिल हमेशा देश बांटने की हि बात करेंगे|यहाँ ही का प्रयोग करें तथा पहली पंक्ति "इन्कलाब कि बात करेंगे "में की का करें .बे-शक बेहद खूबसूरत रचना है आपकी .

    जवाब देंहटाएं
  20. वीरुभाई जी बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  21. देश प्रेम और ओजपूर्ण भावों से ओतप्रोत रचना...!!

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  22. हरकीरत "हीर" दीदी बहुत बहुत आभार!

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  23. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं

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  24. चन्द्र भूषण 'गाफिल'जी आपका आभार!

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  25. हम अशफाक - भगत के बच्चे हैं,
    हम सही गलत में नही पड़ते हैं|
    हम इन कायर , बुजदिल, दोहरों से आज बगावत की बात करंगे

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    1. मोना जी हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है|
      आभार!

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