इन्होने छला है, मुझे
पुरे समाज को,
पंचायत को,
रोड - रास्ते, किसान, मजदुर, मजबूर सबको|
अपराध की सजा पाए लोग,
जब खद्दर में सज कर चलते हैं,
तो गलियाते हैं, शास्त्री जी का नाम लेकर
मदन मोहन मालवीय, सरदार वल्लभ भाई पटेल,
याद आ जाते हैं,
क्या जयप्रकाश नारायण, लोहिया के चेले ऐसे होते हैं,
मैं चौखंडी में बैठे गाँव के बाबा से कभी - कभी पूछ बैठता हूँ,
उसके पास से गुजरते ही....
हर बार उनका एक ही जबाब होता है,...
चुप कर.... तू हमार दुश्मन ह का हो.....
रक्षा-बंधन की सुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआप को भी
हटाएंLove to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.
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