जा आगे को बढ़ता जा, जा आगे को बढ़ता जा|
आगे को बढ़ता जा प्यारे तू पीछे मूड़ना कभी नही|
पीछे मुड़ना कायरता है, रुकना झुकना कभी नहीं|
भाग्य सहारे कायर जीते, कर्म सहारे बढते वीर|
नतमश्तक हो कायर बढ़ते, सर उँचा कर चलते वीर|
चलो निरंतर अपने पथ पर जा मंजिल को बढ़ता जा|
छूटे हुए पदचिन्ह देखकर जा आगे को बढ़ता जा|
जा आगे को बढाता जा|
गर्व करो अपने ऊपर की बना मिला है रास्ता|
नमन करो उन लोगो को जिन्होंने बनाया रास्ता|
मत हो उदास मत हो निराश विचलित मत हो संघर्ष करो|
बनो सबल तुम बनो सफल अविचल होकर उत्कर्ष करो|
स्वविवेक पर रहो अटल तुम, जा पर्वत पर चढता जा|
मंज़िल अब कोई दूर नहीं है जा आगे को बढ़ता जा|
जा आगे को बढ़ता जा|
चन्दन (पहले की स्वरचित कविता -- जा आगे को बढ़ता जा के संपादन के बाद )
आगे को बढ़ता जा प्यारे तू पीछे मूड़ना कभी नही|
पीछे मुड़ना कायरता है, रुकना झुकना कभी नहीं|
भाग्य सहारे कायर जीते, कर्म सहारे बढते वीर|
नतमश्तक हो कायर बढ़ते, सर उँचा कर चलते वीर|
चलो निरंतर अपने पथ पर जा मंजिल को बढ़ता जा|
छूटे हुए पदचिन्ह देखकर जा आगे को बढ़ता जा|
जा आगे को बढाता जा|
गर्व करो अपने ऊपर की बना मिला है रास्ता|
नमन करो उन लोगो को जिन्होंने बनाया रास्ता|
मत हो उदास मत हो निराश विचलित मत हो संघर्ष करो|
बनो सबल तुम बनो सफल अविचल होकर उत्कर्ष करो|
स्वविवेक पर रहो अटल तुम, जा पर्वत पर चढता जा|
मंज़िल अब कोई दूर नहीं है जा आगे को बढ़ता जा|
जा आगे को बढ़ता जा|
चन्दन (पहले की स्वरचित कविता -- जा आगे को बढ़ता जा के संपादन के बाद )
सच में कर्म की महानता ही भारतीय होने की पहचान है //..और आगे बढ़ना आदमी होने का प्रतिक
जवाब देंहटाएंबबन पाण्डेय जी बहुत बहुत धन्यवाद|
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